आजकल हर्निया रोग बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रहा है। इस रोग के बारे में बहुत सारी जानकारी मौजूद है, लेकिन इस रोग को समझना और उसके लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। इस आर्टिकल में हम हर्निया रोग के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
हर्निया रोग क्या है ?
हर्निया का अर्थ होता है अंग की मांसपेशी की रेखाएं घुस जाना या फूलना। सामान्यतः, हमारे शरीर में मांसपेशियों को सरकने और ढीले होने से रोकने के लिए जकड़ अस्थि-रेखा शरीर के अंग को सुरक्षित रखती है। परंतु कभी-कभी इस रेखा में बौली बन जाती है, जिससे शरीर की मांसपेशियाँ आउटिसाइड हो सकती हैं और हर्निया का रोग हो जाता है।
रोग के प्रकार
- तैलिए स्पैरिंग हर्निया: इसमें हर्निया गोली की तरह इंगुइनल केनाल से निकलकर आंख की नस के नीचे फैल जाता है।
- इंगुइनल हर्निया: इस प्रकार का हर्निया कमर और पेट के अंदरी भाग में बनता है।
- डायरेक्ट हर्निया: यह हर्निया केनाल की दीवार में उत्पन्न होता है।
- उम्बिलिकल हर्निया: यह हर्निया पेट की नाभि के चारों ओर बनता है।
- इंजाइनल हर्निया: इसमें हर्निया पेट की इंजाइनल लीप के बाहर बनता है।
- फैमोरल हर्निया: यह हर्निया पेट की नाभि से नीचे के पेट में बनता है।
लक्षण
- दर्द और अस्वास्थ्य का आभास: हर्निया रोग के प्रमुख लक्षणों में दर्द और अस्वास्थ्य भास होता है।
- लिपटना और बुलना: कई बार हर्निया के कारण, मांसपेशियाँ एक दूसरे के ऊपर से लिपट जाती हैं और बुलना शुरू हो जाता है।
- ऊतकता: हर्निया के कुछ मामूली लक्षणों में ऊतकता बन जाती है, जो आराम नहीं देती है।
निदान
हर्निया का निदान चिकित्सक द्वारा किया जाता है। चिकित्सक रोगी के लक्षणों के आधार पर और कुछ परीक्षणों जैसे कि सोनोग्राफी, या CT स्कैन आदि का उपयोग करके हर्निया की गुणवत्ता का महसूस करते हैं।
उपचार
हर्निया के उपचार के विभिन्न तरीके हो सकते हैं, जैसे कि:
- दवा का सेवन: अगर हर्निया मामूली हो, तो चिकित्सक एक दवाई की सलाह दे सकते हैं जो उसे संभवतः ठीक कर सकती है।
- सर्जरी: अगर हर्निया बहुत बड़ी या संबंधित समस्याओं का कारण बन गयी है, तो चिकित्सक सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
प्रतिरोधक उपाय
हर्निया को रोकने के लिए आप कुछ प्रतिरोधक उपाय अपना सकते हैं, जैसे कि:
- वजन को नियंत्रित रखें
- प्राथमिकता और शुद्धता का ध्यान रखें
- सही तरीके से बैठें, उठें, और भोजन करें
- योग और व्यायाम करें
सारांश
हर्निया रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशियाँ शरीर की नियंत्रित परिधि से बाहर आ सकती हैं। इसके लक्षणों में दर्द, अस्वास्थ्य का आभास और बुलना शामिल हो सकते हैं। इसे निदान करने के लिए चिकित्सक का सहारा लेना आवश्यक होता है और चिकित्सा द्वारा कुछ चरमराई जांचें भी की जा सकती हैं। उपचार में दवाएँ या सर्जरी शामिल हो सकती हैं